Monday, August 19, 2019

सीक्रेड गेम्स 2: ये फिल्‍म गायतोंडे के ल‌िए नहीं गुरू जी के लिए देखिए



सेक्रेड गेम्स का दूसरा सीजन तमाम सारे सवालों का जवाब देने के लिए पैदा हुआ है। पर ये बिल्कुल जरुरी नहीं है कि आपको जवाब उतने ही भव्य लगें जितने भव्य और रहस्यमयी सवाल लगे थे। 'कटप्पा ने बाहुबली को क्यों मारा' इसका उत्तर इस प्रश्न की भव्यता के आगे बहुत बौना और घिसा-पिटा हो गया था। सेक्रेड गेम्स सीजन 1 में चूंकि सवाल कई सारे थे इसलिए उनके हर जवाब जरुरी नहीं  ‌कि सवाल जितनी ही कैपासिटी में खुद को दर्ज करा पाए हों। कहीं-कहीं उनके उत्तर जल्दबाजी में दे दिए गए लगते हैं तो कहीं-कहीं उन्हें और उलझा दिया गया मालूम होता है। ट्ववीटर की कुछ प्रतिक्रियाएं इशारा करती हैं कि इस बार हर किसी को चरमसुख का अनुभव नहीं हुआ है।

25 दिन में दुनिया तबाह होने के मुख्य प्रश्न के साथ कई और सेम्पलीमेंट्री प्रश्नों का जवाब देने के लिए बनाई गई ये फिल्म उत्तर देते-देते कई बार थक भी जाती है। सिर्फ उत्तर देने के लिए बेवजह के सीन जोड़कर आपको और थकाने और उबाने के बजाय सीजन 2 आपके लिए कुछ नए किस्से गढ़ता है, कुछ नए किरदार खड़ा करता है, कुछ पुराने किरदारों में चमक पैदा करता है और चमकदार किरदारों को धु्ंधला करता है।

 फिल्म की मंशा है कि आप पहले सीजन के सवालों वाले हैंगओवर से उतरें और कुछ नए सवालों और किरदारों को अपने रुह में जगह दें। त्रिवेदी बचा या मर गया इस प्रश्न के उत्तर से लाख गुना बड़ा प्रश्न ये है कि गुरू जी का नेक्सस इतना बड़ा कैसे बना? कैसे दुनिया को खत्म करने का काम इतनी सहजता से कर पा रहे थे? यह सीजन सीधे तौर पर नहीं लेकिन बिटविन द लाइन बहुत कुछ कहने की कोशिश करता है। जिसे शायद सीधा कहा भी नहीं जा सकता है। जो घोर राजनीतिक है और घोर सांप्रदायिक भी।


फिल्म की कहानी को कहने का तरीका पिछली बार वाला ही है। बारी-बारी से गणेश गायतोंडे का अतीत और उसके मर जाने के बाद चल रही जांच के दृश्य आगे-पीछे चलते रहते हैं। सीजन 2 में एक बदलाव हुआ। गणेश गायतोंडे का हिस्सा तो अनुराग कश्यप के पास ही रहा लेकिन वर्तमान के इन्वेस्टीगेशन और सरताज वाले हिस्से के डायरेक्टर विक्रमादित्य मोटवानी की जगह नीजर घेवान बन गए। मोटवानी के पास इस बार दोनों शूट्स को क्रम से लगाने और एडिट करने का जिम्मा था। यह बदलाव दिखेगा। लेकिन इसे महसूस तब कर पाएंगे जब आप सीजन 2 के तुरंत बाद सीजन 1 भी देखने बैठ जाएं।

अगर आप फिल्म देख चुके होंगे तो पाएंगे कि सीजन 2 गायतोंडे के किरदार को हल्का करने का बड़ा रिस्क लेता है। खुद को भगवान मानने वाले उस इंसान को इस बार भ्रम में उलझा हुए एक आम इंसान बनाकर दिखाया गया है। एक इंसान जो सरवाइव करने के लिए कदम-कदम पर समझौते करता है, दूसरे के हाथों में खेलता है। उसके बदलाव की यह यात्रा उसके बने बनाए ग्लैमर को नोचती- घसोटती तो है लेकिन उसी समय फिल्म गायतोंडे के किरदार की सारी लेयर्ड उतारकर गुरू जी को पहनाकर उन्हें ताकतवर बना रही होती है।


 सीजन 1 में  जो सम्मोहन गायतोंडे के पास था 2 में अब वह गुरू जी के पास है। गुरू जी की दुनिया गायतोंडे के दुनिया से अलग और ज्यादा मायावी है। गुरू जी की 'कैलकुलेटिव नीचता' के आगे गायतोंडे की 'बाचाल नीचता' मासूम लगी। योगेंद्र यादव वाली मीठी स्टाईल में कही गई उनकी बातें गायतोंडे की गालियों से ज्यादा भद्दी लगती हैं। गुरू जी कायनात देखकर गायतोंडे की गैंग के छोकरे एक स्कूली गैंग वाले लड़के लगने लगे। जो छोटी-छोटी बातों में उलझे हुए हैं। बड़ा काम तो गुरू जी कर रहे हैं। सेक्रेड 2 अपनी बातें और फिलॉसिफी गुरू जी के प्रवचनों के द्वारा कहने की कोशिश करती है। एक सम्मोहन सा है उनकी बातों में, एक जादू और एक तिलिस्म। एक समय ऐसा भी आता है जब आडियंश गुरू जी से सहमत होने लगती है। सहमति होने के उन लम्हों में आते हैं राम रहीम, आशाराम, उनके अनुयायी, उनकी मानस पुत्रियां, उनकी शिष्याएं,  कंडोम और सेक्स वर्द्वक दवाओं के जखीरे। फिर गायतोंडे जैसा हमारा भी मोहभंग होता है।

इस दुनिया को नष्ट करके और फिर से नई दुनिया बनाने के बचकाने ख्याल और सपने पालने वाले गुरू जी अपने इर्द-गिर्द ताकतवर लोगों का एक गिरोह जमाकर कर चुके हैं। ब्रेशवॉन शब्द का इस्तेमाल गुरू जी जानते हैं। उनके अनुयायियों में आईएसआईएस का प्रमुख शाहिद खान भी है और मासूल दिल वाला दिलबाग सिंह भी। गुरू जी धर्म से उपर उठ चुके हैं। दुनिया को नष्ट करने में सभी धर्म के लोग उनके साथ हैं। सभी को गुरू जी उसकी लियाकत के अनुसार जिम्मेदारी देते रहते हैं। ‌इन जिम्मेदारियों में उस ड्रग को बेचना भी है जिसे उनके आश्रम में बनाया और खपाया दोनों जाता है।

अपने इस पाप को वो किस तरह से शब्दों और फिलॉसिफी के जर‌िए जस्टीफाई करते हैं फिल्म उसे दिखाने में कई तरह की तरकीबों का सहारा लेती है। फिल्म गुरू जी पर कहीं पर भी आक्षेप नहीं लगाती है। आपको खुद गुरू जी को समझाना होता है। फिल्म बस उन्हें वैसा पेश कर देती है जैसे वे हैं। वो अपनी मंशा छिपाते भी नहीं हैं। किसी को अपने साथ बने रहने की जोर-जबरदस्ती भी नहीं करते हैं। गुरू जी के हिस्से सबसे अधिक संवाद भी आए हैं। इनकी लिखावट बेहद शानदार है। कई जगह तार्किक और नई सी भी। इस‌लिए उनकी हर बात को हवा में उड़ा देने की हिम्मत ना तो हमारी होती है ना ही फिल्म की।


इस बार फिल्म के पास राजनीति और धर्म पर कटाक्ष करने के लिए बहुत सारे वन लाइनर हैं। राजनीति की विडंबनाओं वाले सारे वन लाइनर इस बार अतीत में नहीं हैं, आज का वर्तमान भी फिल्म में खूब है। फिल्म राजीव और इंदिरा गांधी का नाम तो खुलकर लेती है वर्तमान में जो घट रहा है उस पर चोट करने में वह रुपक का सहारा लेती है। कई बार रूपक मुसलमान बनते हैं, कई बार राम मंदिर, कई बार दंगे और कई बार सत्ता। राजनीति और धर्म इन दिनों जैसे शक्‍कर और रुहआफजा की तरह घुलकर मीठे शर्बत बना रहे हैं, वाट्सअप के जरिए आप उस शर्बत को गटागट पी रहे हैं फिल्म की नजर उस पर अच्छी है, ओछी नहीं।

2019 में हिंदू और मुसलमान दोनों को लगने लगा है कि दोनों एक दूसरे से पीड़ित हैं। ये एहसास सीक्रेड गेम्स के दूसरे सीजन में कई जगह पर होता है। एक जगह पर माजिद का किरदार कहता है कि 'मुसलमान वह जिसे कुछ लोग यूज करें और बाकी उस पर शक करें'। या एक और मुसलमान किरदार कहता है कि 'मुसलमान को उठाने के लिए कोई वजह चाहिए आपको? एक सीन में हिंदुओं की तरफ से जवाब  भी आता है 'एक समुदाय पूरे शहर में इतना घुस गया है कि.... और आप सेक्युलर-सेक्युलर कर रहे हैं'


लिखावट के बाद फिल्म का सबसे वजनदार पक्ष उनका अभिनय है। सिर्फ लाश के रुप में सीजन एक में दिखने वाली सुरवीन चावला ने इस सीरीज में बेहद खूबसूरत अभिनय किया है। गायतोंडे के साथ फोन पर होने वाली उनकी बातचीत को अलग से सुना जाना चा‌हिए। सुरवीन के करियर का ये अब तक का सबसे मजबूत किरदार है। अमृता सुभाष अनुराग की प्रिय हैं। रमन राघव में नवाजुद्दीन की बहन का किरदार करने वाली अमृता इस बार रॉ एजेंट बनकर कमाल लगती है। कल्कि कोचलीन का किरदार सामान्य है। इसे किसी और से भी कराया जा सकता था। नवाजुद्दीन शिद्दकी की तरह ही सैफ अली खान के बगैर इस सीरिज की कल्पना नहीं हो सकती है। निराश करने वाले लोग कम हैं। रणवीर शौरी के पास पद बहुत बड़ा है लेकिन उनका रोल जरा सा। वो जरुर निराश करते हैं। साथ ही फिल्म का क्‍लाइमेक्स भी जो एक और सीजन की राह खोल देता हे।

तो ये दुनिया फिलहाल दो तरह के लोगों में बंटी हुई है। पहले वे जिन्होंने सेक्रेड गेम्स सीजन 2 देखा है और दूसरे वो जो इसे देखना चाहते हैं। आपको चाहिए कि आप भी जल्दी से पहले वाले लोग बन जाएं। आपको ये सीरिज देखनी चाहिए।

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