Friday, July 26, 2019

यह फिल्म मुझे हीन भावना के गहरे समंदर में ले जाती है

सरकारी स्कूल में पढ़े होने की वजह से स्टूडेंट ऑफ ईयर की दूसरी किश्त मुझे समझ नहीं आई। फिर जैसे-जैसे समझ में आती गई मैं कुंठित होता गया।  शारीरिक रूप से मेरा कद, काठी, ऊंचाई, लम्बाई, वजन, सीना, हाथ, पैर, गला, कंधे, पीठ अभी भी उन स्टूडेंट्स से कमजोर हैं जो फ़िल्म में दिखाए गए हैं। वो सभी स्कूल स्टूडेंट थे। मुझे स्कूल छोड़े 18 साल हो गए हैं। तब ये हालत है। उनके बारे में कुछ भी लिखते समय मेरे हाथ कांप रहे हैं।

पूरी फिल्म के दौरान मैं लगातार शर्मिंदा महसूस करता रहा। 12th स्टैंडर्ड के लड़के इतना अच्छा नाच लेते है, 8 से 12 पैक तक बना लेते हैं, दौड़ लेते हैं, एक साथ दो तीन प्रेम कर लेते हैं, इतने बार बदलकर कपड़े पहनते हैं ये सब मेरे जैसे सभी लड़कों के लिए हीन भावना पैदा करने वाला था। मैं बहुत निराश हूं।

लेकिन खुद से ज्यादा निराश हूं फ़िल्म के निर्देशक पुनीत मल्होत्रा के लिए। पुनीत ने इसके पहले आई लव हेट स्टोरी और गोरी तेरे प्यार में जैसी असफल फिल्में बनाई हैं। दोनों ही फिल्मों में इमरान खान थे जो अब इंडस्ट्री से बाहर हो चुके हैं। करन जौहर पिछले कुछ सालों से नए लोगों को मौका देते रहे हैं लेकिन पुनीत नए नहीं थे। न ही स्टूडेंट ऑफ नई फिल्म थी। इस फ़िल्म से डेब्यू करने वाले आज बॉलीवुड को लीड कर रहे हैं। वो याद रखने वाली फ़िल्म थी। एक ब्रांड फ़िल्म थी।

ये फ़िल्म बेहद कच्ची और प्रिडिक्टेबल फिल्म है। ये उनको अच्छी लग सकती है जिन्होंने इसके पहले फिल्में नहीं सिर्फ टीवी सीरियल देखे हों। टाइगर श्राफ की अपनी फैन फॉलोइंग है। पता नहीं इसमें उन्होंने खुद को क्यों खपाया? शायद बड़े बैनर के लोभ में।

फ़िल्म में ट्रेडिशनल के अनुसार ही 2 लड़कियां हैं। इसमें Ananya Pandey याद रह सकती हैं। आप फ़िल्म देख सकते हैं, पर उसमें मेरी तरह शर्मिंदा होने के खतरे भी है

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