Thursday, October 6, 2011

अफसोस कि रासकल्स जैसी फिल्में आगे भी बनती रहेंगी


फिल्म समीक्षा: रासकल्स

आप किसी फिल्म के घटियापन के बारे में जितना सोच सकते हैं रासकल्स उससे दो नहीं सात-आठ कदम बढक़र साबित हुई। रासकल्स का निर्देशन डेविड धवन ने किया है। वह १९८९ यानी पिछले २२ सालों से फिल्म का निर्देशन करते आ रहे हैं। फिल्म में संजय दत्त प्रोड्यूसर होने के साथ एक्टर भी हैं वह १९८१ यानि कि तीस बरस से फिल्मों में एक्टिंग करते आ रहे हैं। फिल्म में अजय देवगन भी हैं वह १९९१ यानि की २० साल ऐक्टिंग करते आ रहे हैं। फिल्म इंडस्ट्री के इन तीनों महापुरुषों ने मिलकर यह फिल्म बनाई है। फिल्म के प्रोमो देखकर अंदाजा था कि फिल्म कैसी होगी पर अंदाज कभी कभी इतने बुरी तरीके से सही साबित हो सकते हैं इसका अंदाजा नहीं था। महेश मांजेकर और सतीश कौशिक ने आजकल सिर्फ ऐक्टिंग करना शुरू कर दिया है। फिल्में शायद अब इनसे बनती नहीं हैं। कोई उनसे बताए कि वह एक्टर और भी घटिया हैं। महेश मांजेरकर कितने बढिय़ा एक्टर हैं इसे आप दबंग में देख लीजिए और सतीश कौशिक को इस फिल्म में। कंगना रणावत को बख्श देना बेहतर हैं। उन्होंने दर्शकों जरूरत से ज्यादा दे दिया है। ऐक्टिंग के लिए इंडस्ट्री में दूसरी प्रतिभाशाली अभिनेत्रियां मौजूद हैं यह बात वह जानती हैं।
दर्शकों का एक-एक पल तड़पाने वाली इस फिल्म का एक भी दृश्य ऐसा नहीं है कि उस पर मुस्कुराया जा सके। हालांकि ऑडी भरी हुई थी और कुछ दर्शक हंस भी रहे थे। इन्हीं दर्शकों के लिए रासकल्स जैसी फिल्में आगे भी बनती रहेंगी। बहुत सारे संजय दत्त ऐसी फिल्में प्रोड्यूस करेंगे और कई डेविड धवन उनको निर्देशित करेंगे। और पता नहीं किन वजहों से अजय देवगन जैसे कलाकार उसमें काम करते भी दिखेंगे।

2 comments:

  1. filme ab achar ban gai hai jo director ki or se darshako se kiya jata hai...jab yeh itna kharab hota hai to isi tarah ka ukhdapan darshak bayan karata hai...sach much badi vedna ke sath is film ko jhela hoga...

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  2. आपका दुख समझ सकता हूँ, मेरा तो इतना ज्यादा था की छह कर भी इस पर कुछ लिख नहीं पाया. लिखता तो शायद ऐसा ही लिखता. कृपया वर्ड वेरिफिकेशन की बंदिश हटाएँ इसका कोई अर्थ नहीं

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