Friday, June 29, 2018

संजू: जीवन में पहली बार आमिर खान का कम लंबा होना अखरा है



राजू की फिल्म थ्री इडियटस के समय ऐसी खबरें आती थीं कि आमिर हिरानी के काम में काफी दखल देते हैं और स्क्रिप्ट में बदलाव सेट पर ही करवा देते हैं। राजू इसे खारिज नहीं किया करते  थे और मीडिया से कहते कि आमिर सीनियर और  संजीदा कलाकार हैं और हमें उनके क्रिएटवि सजेशन अच्छे लगते हैं। बाद के एक इंटरव्यू में आमिर ने ऐसे ही सवालों का एक लैंडस्केप आंसर दिया था। आमिर ने कहा था कि वे स्क्रिप्ट नहीं बदला रहे थे दरअसल उस फिल्म में  राजू ने उनका जो किरदार गढा  था वह बहुत ही आदर्शवादी थी। इतना कि उसे हर सीन में अच्छे होने को स्टेबलिस करना होता। मैं उस किरदार के अच्छे होने का लोड नहीं उठा पा रहा था। मैंने बस उस किरदार  के अच्छे होने को माइल्ड किया है। और वो जो माइल्ड हुआ तो वह राजू को भी अच्छा लगा।

जो गलती हिरानी थ्री इडियटस में  आमिर की वजह से करते  करते बच गए थे वही गलती संजू में कई बार दिखती है। राजकुमार हिरानी अपने दोस्त संजय को एक अच्छे इंसान के तौर पर स्टेबलिस करना चाहते हैं। वह चाहते हैं कि कोर्ट से संजय को जो  सजा मिली है वो तो  वह काट ही चुके हैं पब्लिक परसेप्शन में भी उनकी इमेज बदले। राज कुमार हिरानी संजय के समर्थन में इतना एकतरफा हैं कि उन्हें उनकी हर हरकत को जस्टीफाई  करते चलना पडा है। फिल्म संजय की अच्छाई से कहीं कहीं दब सी जाती है। फिल्म बाकी कलाकार उसे  निकालते  दिखते हैं।

फिल्म के दो हिस्से हैं। पहला डग्स लेने वाला संजय दत्त और दूसरा आतंकी संजय दत्त। पहले हिस्से में यह फिल्म थोडी चुलबुली है। वह संजय को एक 'नेक लापरवाह' के रुप में  स्थापित करती हुई  चलती है। अगर वो डग्स ले रहे हैं तो उसका दुष्परिणाम कितने गहरे हैं फिल्म इस पर वह बात नहीं करती। बस इसे एक आदत मान लेती है। लेकिन  इस गंदी आदत से निकलकर  एक आदमी बनने की कोशिशों को वह 'मैदान फतेह' के रुप में दिखाती है। नशा करने वाला संजय दत्त आम आदमी बन जाते हैं और  इंटरवल हो जाता है।


इंटरवल के  बाद हिरानी संकेतों में बात नहीं कहते। वो सीधे उनके बचाव में उतर आते हैं। संजय दत्त का आर्म्स रखना, उनके आतंकियों के साथ में मेलजोल रखना, उनका गिरफतार  होना, जेल जाना। फिल्म इन सबका दोष संजय पर 25 प्रतिशत डालती है और बाकी 75 प्रतिशत कसूर  मीडिया पर। ये फिल्म सिर्फ संजय को ही स्टेबलिस नहीं करती। वो उन्हें एक अच्छे पुत्र, अच्छे दोस्त, अच्छे पति और अच्छे पिता के रुप में दावेदारी करती हुई चलती है। पिता और पुत्र के संबंधों को बहुत आदर्श तरीके से पेश करने में राजू ने बहुत सारे सीन खर्च कर डाले हैं। आपके इमोशन को वे पूरा निचोडना चाहते हैं। लेकिन ये सब कुछ 25 प्रतिशत स्वाभाविक लगती है और 75 प्रतिशत बलात।


ये एक बडी फिल्म है और अच्छी भी। दो सौ करोड से उपर कमाने वाली फिल्म। लेकिन ये फिल्म हिरानी की फिल्म नहीं है। पीके और थ्री इडियटस बनाने वाले हिरानी फिल्म। जब हिरानी इस फिल्म में अपनी ही एक फिल्म मुन्नाभाई एमबीबीएस का जिक्र ले आते हैं तो कहीं कहीं  ये बचकाना भी लगता है। और भी यहीं पर आमिर खान याद आ जाते हैं।

आमिर खान यदि इतने लंबे होते तो कि वह संजय दत्त जैसे दिख सकते तो यकीनन संजू एक बेहतर फिल्म होती। आमिर  का कम लंबा होना मुझे मेरे  कम लंबे होने से ज्यादा जीवन में पहली बार अखरा। और शुक्रिया अनुराग कश्यप और नीरज घेवान। बॉलीवुड को विक्की कौशल जैसा अभिनेता देने के लिए।

3 comments:

  1. शानदार लिखा है रोहित भाई

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  2. रनवीर के बारे में कुछ नहीं कहा।

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