Sunday, August 21, 2011
अच्छी नहीं पर एक अलग फिल्म
फिल्म समीक्षा: नाट ए लव स्टोरी
रामगोपाल वर्मा अपनी फिल्मों के बारे में यह सुनना ज्यादा पसंद करते हैं कि उन्होंने एक अलग फिल्म बनाई है बनस्पित इसके कि उन्होंने एक अच्छी फिल्म बनाई है। नाट एक लव स्टोरी उनकी अलग फिल्मों की श्रृंखलाओं में एक और कड़ी के रूप में जुड़ गई है। फिल्म बहुत ही कम बजट और संसाधनों के बीच बनाई गई है। कलाकार भी दीपक डोबरियाल और माही गिल जैसे। इन आत्मविश्वासी और प्रतिभावान कलाकारों के लिए फिलहाल मेहनताना से अधिक इनके रोल की गंभीरता अधिक महत्वपूर्ण लगती है। २००८ में हुए नीरज ग्रोवर हत्याकांड पर आधारित इस फिल्म की सबसे बड़ी कमी वही है जो इसकी यूएसपी है। सत्य घटना से जुड़े होने की वजह से यदि इसका कथानक दर्शकों को बांधे रखता है तो इसे फिल्म के रूप में न पेश करना पाना सबसे बड़ी कमी के रूप में भी उभरता है। फिल्म थोड़ी फिल्मी होनी चाहिए थी। आमतौर पर जिस मोड़ पर फिल्मों में इंटरवल होता है यह फिल्म वहां आपको बाए-बाए बोल देती है। माही गिल अब तक के अपने सबसे लंबे रोल में दिखी है। रोल लंबा के बावजूद इस फिल्म में वह वैसा प्रभाव नहीं छोड़ पाती जैसा कि उन्होंने देव डी या गुलाल फिल्म के अपेक्षाकृत छोटे रोल में छोड़ा था। दीपक डोबरियाल के लिए अच्छे संवाद नहीं रखे गए। एक खीझे हुए आशक्त प्रेमी के रूप में वह उतना नहीं जमे जितनी की उनसे अपेक्षा की जाती है। पुलिस तहकीकात और न्यायालय में बहस के दृश्यों को बढ़ाए और प्रभावी बनाए जाने की जरूरत थी। अच्छी फिल्म के रूप में नहीं पर एक अलग फिल्म के रूप में नाट ए लव स्टोरी देखी जा सकती है।
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