Saturday, August 3, 2013

यह एडल्ट फिल्म सेक्स के प्रति हमारा मोहभंग करती है

यह फिल्मकारों का भारतीय दर्शकों की रुचि और उनकी प्राथमिकता पर पूर्वाग्रह और अविश्वास ही है कि उन्हें बीए पास जैसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण फिल्म को भी सेक्स फिल्म कहकर प्रचारित करना पड़ता है। यदि ऐसा न किया गया होता तो निश्चित ही रात 11 बजे का शो 50 फीसदी भरा न होता। सेक्स का रैपर दर्शकों को थिएटर तक खींचकर लाता है। लेकिन इस रैपर के खुलने के बाद अलग दुनिया है। यकीनन इस फिल्म का ढांचा सेक्स के इर्द-गिर्द ही बुना गया है, भले ही फिल्म के ज्यादातर दृश्य सेक्स और उसकी रूपरेखा में ही बीतते हो बावजूद इसके यह फिल्म एक जगह भी सेक्स को मजे के रूप में पेश नहीं करती। यह फिल्म सेक्स के प्रति दर्शकों की संवेदनाएं वहां भी नहीं जगाती जहां फिल्म का मजबूर नायक मजबूरी में ही सही पर हो रहे सेक्स में मजे के चंद पल तलाशता है। इस फिल्म में सेक्स से बड़ी नायक की दुश्‍वारियां हैं। दर्शक पर्दे पर सेक्स देखने जाते जरूर हैं लेकिन फिल्म खत्म होते-होते उन्हें उन पात्रों से नफरत होने लगती है जो सेक्स के मजे लूट रहे होते हैं। यह हिंदी की शायद पहली फिल्म है जो पुरुष वेश्या को इस तरह से पेश करती है। गिनाने को तो देशी ब्वॉयज सहित कुछ और फिल्में भी पुरुष वेश्या की कहानी अलग-अलग तरीकों से कह चुकी हैं। लेकिन उनमें क्या है यह बताने की जरूरत नहीं। फिल्म का अंत बहुत यथार्थपरक और कष्ट देने वाला है। हालांकि अंत को पूरी तरह से न दिखाकर भी फिल्म खत्म की जा सकती थी। जरूरी नहीं था कि हम नायक को खत्म होता ही दिखा देते। ऐसा भी हो सकता था हम नायक को कुछ न कर पाने वाले हालत में ही छोड़कर चले जाते। उसके फोन की घंटी बजाकर करती और पुलिस उसे चारो तरफ घेर हुए होती। सुखांत या ड्रामेटिक क्लाइमेक्स के आदी हो चुके दर्शकों को फिल्म का क्लाइमेक्स जड़ कर देता है। हॉल छोड़ने पर जब दर्शक अपनी निजी जिंदगी में आता है तो उसे इस बात की तसल्ली मिलती है कि ‌थैंक्स गॉड यह एक फिल्म थी और मेरी जिंदगी ऐसी नहीं हैं। फिल्म कुछ और बातों पर कुछ कहने की कोशिश करती है। खासकर सेक्स से अतृप्त अधेड़ महिलाओं की अवसरवादिता हमें मोहभंग की स्थिति तक ले जाती है। इस फिल्म के कलाकारों का अभिनय एक बार फिर बताता है कि फिल्म एक निर्देशक का माध्यम है। वह अपने अनुसार कलाकारों से अभिनय करवा लेता है। परिवार के अलग-अलग सदस्यों द्वारा अलग-अलग जरूरी तौर पर देखी जाने वाली एक वयस्क फिल्म

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