Saturday, July 26, 2014

साजिद-सलमान तुमको हिंदी सिनेमा माफ करेगा...?

 
किक फिल्म में सलमान की एंट्री एक ऐसे दुर्लभ वाहन से होती है जो पीछे से कार और आगे से मोटरसाइकिल जैसा दिखता है। इसमें वह अपने एक दोस्त की भगाकर शादी करा रहे होते हैं। बैकग्राउंड दिल्ली का होता है और सलमान का पीछा तलवार लिए हुए कुछ मूंछधारी लोग कर रहे होते हैं। यह सीन करीब 10 मिनट से अधिक समय का है। इस दौरान सीट पर पीछे बैठे दूल्हे की मूंछे तलवार के हमले से कट जाती हैं और यह मूंछे पता नहीं कैसे बाइक चला रहे सलमान खान को चिपक जाती हैं। मूंछे लगे सलमान को देख एक युवक उन्हें चुलबुल भईया कहता है और पीछे से दबंग फिल्म की परिचित सी टोन बजती है। इस सीन पर मल्टीप्लेक्स में बैठे ज्यादातर लोग हंस रहे होते हैं। रात का शो है ‌इसलिए ज्यादातर लोग सपरिवार हैं। बच्चे भी खुश, मम्मी भी खुश और इन सबकी खुशी में पापा भी खुश। कोशिश तो करता हूं कि मैं भी हंसू..

इस सीन के बाद कुछ और सीन हैं। जिसमें सलमान रेस्टोरेंट में बैठे लोगों को उनके अच्छा होने का कर्तव्य याद दिलाते हुए गुडों के साथ उनकी भी पिटाई करते हैं। इस सीन से यह साफ किया जाता है सलमान साहसी होने के साथ-साथ नेकदिल और दूरदर्शी भी हैं। साथ ही समाज के प्रति जवाबदेह भी। यू ट्यूब पर इस सीन को देखकर नायिका उनसे प्यार कर बैठती है और इसके बाद एक गाना होता है जिसे सलमान ने ही आवाज दी है। नायिका इस समय विदेश में है और सलमान के बारे में यह कहानी खुद को देखने आए एक लड़के को सुना रही होती है। इसी बीच एक छोटे से फ्लैशबैक में सलमान के पैदा होने, उनके तेज दिमाग का होने और रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस होने को कॉर्टून के जरिए दिखाया जाता है। इसमें सलमान के बाली पहनकर पैदा होने, पैदा होते ही नर्स को आंख मारने बाथरूम में उल्टा होकर फारिग होने और लैपटाप को बिना देखे टाइप करने जैसे कुछ सीन दिखाए जाते हैं।

प्रेम करने के बाद उनकी प्रेमिका उन्हें कुछ न करने का उलाहना देती है। यह उलाहना सलमान को अखरती है और पैसा कमाने के‌ लिए चोर बन जाते हैं। फिल्म में उन्हें चोरी करते नहीं बल्कि चोरी करने के बाद फ्लाइओवर से उड़ते-कूदते, हवा में लहराते और स्टंट करते हुए दिखाया जाता है। उनके पीछे-पीछे पुलिस भी ऐसा करती है और लोग पॉपकॉर्न टूंगते हुए इन दृश्यों को एंज्वाय कर रहे होते हैं। आगे की कहानी सलमान को पकड़ने के लिए होती है। बीच में एक किस्सा यह जस्टीफाई करता है कि सलमान चोरी एक नेक इरादे से कर रहे होते हैं। कुछ इन्हीं दृश्यों के बीच सलमान को महान बनाती हुई यह फिल्म खत्म हो जाती है।

इंटरवल के पहले तक किक खुद को कॉमेडी फिल्म बनाकर रखना चाहती है। ऐसे कॉमेडी जो हमें साउथ की दोयम दर्जे की फिल्मों में देखने को मिलती है। मूंछों के उड़ने के साथ सलमान के जेल जाने का प्रसंग भी इन्हीं कॉमेडी दृश्यों में हैं। यदि गौर करना चाहें तो गौर करने वाली बात यह है कि जिन दृश्यों में सलमान नहीं होते हैँ वह दृश्य बेहतर लगते हैं। मसलन कहीं-कहीं संजय मिश्रा और सौरभ शुक्ला जैसे किरदार लेकिन सलमान के साथ जैसे ही इनके दृश्य होते हैं ये मंझे कलाकार भी सलमान जैसी ही घटिया ऐक्टिंग करनी शुरू कर देते हैं। उन्हें तुरंत एहसास होता है कि वह सलमान की फिल्म में ऐक्टिंग कर रहे हैं .

फिल्म का सेकेंड हॉफ थोड़ा बेहतर है। इस बार कैमरा सलमान के चेहरे पर होकर उनके कारनामों पर है। इसी बहाने रणदीप हुड्डा और नवाजुदीन जैसे कलाकारों को भी कुछ मौके मिल जाते हैँ। लेकिन सलमान का फिल्म में इतना आतंक है कि लगता है कि ये किरदार सलमान की चापलूसी कर रहे हैं। ज्यादा अच्छा अभिनय करने पर सलमान इन्हें आगे किसी फिल्म में अपने साथ नहीं रखेंगे। सलमान के साथ बैठकर शराब पी रहे रणदीप का यह सीन उसकी गवाही है। एक अच्छे अभिनेता को इस सीन में दम तोड़ते देखना दुखा भरा है। नवाज के साथ तो खैर सलमान ने स्क्रीन ही शेयर नहीं की। थोड़े से ही दृश्यों में नवाज प्रभावित करते हैं।

जो व्यक्ति फिल्म इंडस्ट्री जैसी जटिल व्यवसाय में पिछले 24 साल से सफलतापूर्वक सरवाइव कर रहा है उसका आईक्यू लेवल कम है यह कहना तो गलत होगा लेकिन यह निश्चित है कि सलमान यह जरूर मानते हैं कि देश के दर्शकों का आईक्यू लेवल जरूर कम है। वरना तुक्के से एक बार ऐसी फिल्में हिट होती हैं। वांटेड, दबंग 1, 2, रेड्डी बॉडीगॉर्ड, जय हो जैसी घटिया फिल्में लाइन से हिट नहीं होती हैं। सलमान देश के दर्शकों के बारे में सही सोचते हैं यह दर्शक बार-बार सिद्घ करते हैं।

हॉलीवुड की हिट एक्‍शन फिल्मों की सीरिज देखकर बड़ी हुई नई पीढ़ी को यह फिल्म देखकर कायदे से तो उल्टी आने चा‌‌हिए लेकिन ऐसा होता नहीं। वह खुश दिखते हैं और उनकी खुशी ट्वाइलेट से लेकर पॉपकॉर्न खरीदने के लिए लगी लाइनों तक में दिखती है। जब हिंदी सिनेमा का इतिहास लिखा जाएगा तो उसमें किक निश्चितरूप से नहीं होगी लेकिन किक उन फिल्मकारों को जरूर हतोत्साहित करेगी जिनके पास कुछ अदद अच्छी कहानियां हैं और वह प्रोड्यूसरों के चक्कर लगा रहे हैं। लेकिन अब प्रोड्यूसर खुद निर्देशक बन रहे हैं और फिल्म को 30 करोड़ की ओपनिंग मिल रही है।

साजिद नाडियवाला उस अपढ़ व्यवसायी की तरह फिल्म निर्देशित करते हैं जिसके पास पैसा आ जाने के बाद वह प्राइवेट इंजीनियरिंग कॉलेज खोलकर लोगों को शिक्षा के मायने समझा रहा होता है। एक बात जो बिल्कुल समझ में नहीं आती कि वंस अपॉन ए टाइम और डर्टी पिक्चर में संवाद लिखने वाले रजत अरोडा़, चेतन भगत जैसे प्रतिभावान के सा‌थ मिलकर भी याद रखने वाले डायलॉग नहीं लिख पाए। जबकि उनके साथ बहुमुखी प्रतिभा के धनी साजिद भी थे।

No comments:

Post a Comment