Friday, January 6, 2012

बहुत दिन बाद दिखे शोले वाले रमेश सिप्पी

फिल्म समीक्षा प्लेयर्स



प्लेयर्स के बारे में यह चर्चा थी कि यह हॉलीवुड फिल्म द इटालियन जॉब का रीमेक है। इस चर्चा से अब्बास-मस्तान वाकई दुखी हुए होंगे। क्यों कि सच्चाई यह है कि प्लेयर्स हॉलीवुड फिल्म का हिंदी रीमेक होने के साथ-साथ कई हिंदी फिल्म निर्देशकों के प्रिय दृश्यों का कॉकटेल भी है। फिल्म में इन दृश्यों का छिडक़ाव किया गया है। इस फिल्म में जहां-जहां कॉमेडी हुई है डेविड धवन याद आए हैं, जहां इमोशन हैं वहां करन जौहर और क्लाइमेक्स में शोले वाले रमेश शिप्पी। शोले की तर्ज पर यहां खलनायक को हीरो नहीं मारता उसे फिल्म की नायिका मारती है क्यों कि उसे अपने बाप की मौत का बदला लेना होता है। फिल्म में सोना लूटो अभियान समिति के सदस्य मास्को की चलती ट्रेन से सोना लूटते हैं। सोना लूट लिया जाता है। यह इंटरवल तक की कहानी है। इंटरवल के बाद की कहानी बेहद घटिया और फिल्मी फॉर्मूलों के साथ आगे बढ़ती है। एक-दूसरे के साथ धोखा, डबल क्रास जैसे दृश्य और कहानी हम ढेर सी फिल्मों में देख चुके हैं। प्लेयर्स में ऐसा कुछ भी नया नहीं है। अभिनय पक्ष इस फिल्म का सबसे गंदा पक्ष है। अभिषेक बच्चन धूम में किए गए अभिनय की जेरॉक्स कॉपी जैसे दिखते हैं और विपाशा बसु अजनबी फिल्म जैसी। सोनम कपूर आयशा या आयत बनकर ही अच्छी लगती हैं। इस फिल्म वह कायदे से संवाद भी नहीं बोल पाईं हैं। नील नितिन मुकेश को इतनी बड़ी और प्रभावी भूमिका मिलना चौंकाता है। ओमी वैद्य अभी थ्री इडियट्स के खुमार से नहीं निकल पाए हैं। बिचारे कम बोलने वाले बॉबी देओल को सोना लूटते ही सुला दिया गया। चुप रहकर बढिय़ा ऐक्टिंग कर रहे थे वह।

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