Friday, August 17, 2012

मेरे पापा की उम्र के सलमान खान फिल्म में लव इन फस्र्ट साइट वाला प्रेम कर रहे हैं और फिल्म को ३३ करोड़ की ऐतिहासिक ओपनिंग मिल रही है

हिंदी फिल्म उद्योग शादी को अभी कठिन ही बनाए रखना चाहता है। समय के साथ कठिनाई के तरीके बदलते रहे हैं। अमीर किंतु बेरोजगार लडक़े के सिगार पीते पिता, घर पर सिलाई करके बेटी को स्वाभिमानी बनाए रखने वाली मां, कभी जाति तो कभी एक छोटी सी घटना विवाह में अड़ंगा बनती रही है। एक था टाइगर शादी के इसी पारंपरिक अवरोध की कहानी है। चूंकि फिल्मों में मां-बाप तो अब रहे नहीं इसलिए इस फिल्म में नायक-नायिका की शादी में दो राष्ट्रों की गोपनियता और उनकी सामरिक नीतियां आड़े आ रही हैं। १५ अगस्त पर सुबह से बजते देशभक्ति के गीतों और टीवी पर आ रहीं देशभक्ति की फिल्मों की वजह से हम थोड़ा बहुत देशप्रेमी हो जाते हैं। एक था टाइगर अपने प्रोमो और डायलॉग से यही साबित करती थी कि यह एक खांटी देशभक्ति की फिल्म है जिसमें कैटरीना-सलमान की प्रेम कहानी बीच-बीच में दर्शकों के मनोरंजन के लिए आएगी। फिल्म में होता इसका उल्टा है। सलमान की पूरी जाबांजी नायिका से विवाह रचाने के अवरोधों को निपटाने में व्यर्थ होती है। इस फिल्म को रिलीज करने में मल्टीप्लेक्सों के साथ छोटे और मछोले शहरों के सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों ने भरपूर उत्साह दिखाया है। इन सिनेमाघरों को बदले पर आधारित फिल्में हमेशा रास आई हैं। वह बदला मिथुन चक्रवर्ती का हो, सन्नी देओल का हो या फिर सलमान खान का। इस बदले को देखने आए दर्शकों को फिल्म से कुछ नहीं मिला। वह एक प्रेमी के रूप में ही नजर आए। चूंकि फिल्म ३३ करोड़ की ओपनिंग कर चुकी है तो यह फिल्म को खराब कहना वैसा ही होगा कि जैसे कहा जाए कि भारत की सडक़ों पर दाएं चलिए, केले के छिलके सडक़ पर छितराइए।
सलमान खान और मेरे पापा की उम्र में बस इतना अंतर है कि जब मेरे पापा दसवीं कर रहे होंगे तो सलमान दूसरी या तीसरी क्लस में रहे होंगे। सलमान की फिल्मों को जिस उम्र के युवा देखने आते हैं उनके पापाओं और डैडियों की उम्र सलमान खान के लगभग बराबर होगी। १६ साल की लड़कियों के पिता तो सलमान से छोटे भी हो सकते हैं। दो-तीन सालों में ५० की सरहद छूने वाले सलमान खान यदि ऐसी प्रेम भरी सफल फिल्में कर सकते हैं तो यह २५ से ३० साल के नए कलाकारों के लिए अफसोस और चिंतन का विषय होना चाहिए। एक फिल्म जो अपनी डायलॉग, स्क्रीनप्ले, अभिनय और कहानी से इतनी औसत है वह अब तक सबसे बड़ी फिल्म कैसे बन जाती है यह हम सबके सोचने का विषय है। दबंग और बॉडीगार्ड के विपरीत इस फिल्म की अच्छाई यह है कि यहां फूहड़ सहकलाकारों की जगह गिरीश कर्नाड और रणीवर शौरी जैसे कलाकार हैं। कर्नाड को तो और भी फिल्में लगातार करनी चाहिए।

1 comment:

  1. बॉलीवुड में सफलता का पैमाना आपके किए हुए कार्य को आर्थिक रूप से मिला प्रतिफल है। और सलमान यह बखूबी जानते, समझते और मानते हैं। दरअसल बहुसंख्यक लोग आपकी तरह सोच नहीं रखते। सलमान में अमीर, गरीब से परे एक समलोक का प्रतिनिधित्व नजर आत है। इसलिए यह कहना सरासर बेमानी है कि वह इस उम्र के हैं या उस उम्र के। यह तो वक्त का रास्ता है, वह तय करेगा ही। इस ब्लॉग पर अपनी अंतिम पोस्ट के साथ।
    वरुण

    ReplyDelete