Friday, April 27, 2012

बॉलीवुड नकल करता है लेकिन जरा अपनी तरह से

फिल्म समीक्षा: तेज भारतीय निर्देशक (जिनके बारे में यह माना जाता है कि उनके पास मौलिक कहानियां नहीं है) जब किसी हॉलीवुड फिल्म का रीमेक बनाते हैं तो उसमें बॉलीवुड के कुछ लोकप्रिय फॉर्मूले डालना नहीं भूलते। यह भी एक तरह मौलिकता है। फिल्म तेज हॉलीवुड की दो फिल्मों अनस्टापेबल और स्पीड का हिंदी वर्जन है। बस इस हिंदी वर्जन में थोड़ी प्रताडऩा, थोड़ा प्रतिशोध, थोड़ा बदला, थोड़ा रोमांस और एक आईटम नंबर डाल दिया गया है। चलती हुई ट्रेन से जुड़े हुए प्रसंग अनस्टापेबल से कॉपी किए हुए हैं और बम से जुड़े हुए किस्से स्पीड से। अजय देवगन, कंगना रणावत, समीरा रेडी, जायद खान की व्यक्तिगत जिंदगियों के किस्सें किसी भी हिंदी फिल्म से। फिल्म की अच्छी बात यह है कि बिना इधर-उधर की बातें किए हुए पांच मिनट के अंदर मुद्दे पर आ जाती है। दूसरी अच्छी बात यह है कि यह इतनी तेज चलती है कि दर्शक कमजोर दृश्य की समीक्षा नहीं कर पाता कि फिल्म आगे बढ़ जाती है। आमतौर पर जब फिल्मों में नायक कोई बुरा काम कर रहा होता है या आत्मा किसी से बदला ले रही होती है तो फ्लैशबैक में इसकी वजह को जस्टीफाई किया जाता है। इस फिल्म में जो वजह दिखाई गई है बहुत कमजोर लगती हैं। राजनीति की तरह इस फिल्म में भी अजय देवगन ग्रे शेड में होते हुए भी फिल्म के नायक लगते हैं। चूंकि कलाकार सब मंझे हुए थे इसलिए ऐक्टिंग तो अच्छी होनी ही थी। छोटे से रोल में जायद खान प्रभावित करते हैं।

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